This website uses cookies to ensure you get the best experience on our website. Privacy PolicyOK!



×
Special News

Articles » Physiotherapy » Lower Back Pain »

Ayurved in Covid-19- आयुर्वेद और योग Covid-19 के उच्च जोखिम वाले मरीजों के इलाज में प्रभावी

Ayurved in Covid-19- आयुर्वेद और योग Covid-19 के उच्च जोखिम वाले मरीजों के इलाज में प्रभावी

Views: 2 | Updated On: | By Dr. Rachana Jangir



दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) और हरिद्वार के देव संस्कृति विश्वविद्यालय के अनुसंधान से पता चला है कि योग और आयुर्वेद कोविड-19 के उच्च जोखिम वाले मरीजों के उपचार में प्रभावकारी हो सकते हैं। कोविड-19 के उच्च जोखिम वाले 30 मरीजों के सफल उपचार का अध्ययन ‘इंडियन जर्नल ऑफ ट्रेडिशनल नॉलेज’ में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन में यह भी सुझाव दिया गया है कि योग और आयुर्वेद कोविड-19 के उपचार के अलावा ऐसे मरीजों को चिंता/व्याकुलता से राहत प्रदान करने तथा इलाज के बाद त्वरित स्वास्थ्य लाभ में भी कारगर हो सकते हैं।

कई समूह के मरीजों पर किया गया अध्ययन-



इस परियोजना का विचार तथा रूपरेखा तैयार करने वाले आइआइटी दिल्ली के राहुल गर्ग ने कहा, ‘‘ यह अध्ययन पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली का शीर्ष अकादमिक संस्थान में वैज्ञानिक परीक्षण की तीव्र जरूरत को भी दर्शाता है। आयुर्वेद एवं योग उपचार के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए यदि उपयुक्त रूप से परीक्षण हो तो लोगों के पास कोविड-19 के प्रबंधन में उनके उपयोग के बारे में और विश्वसनीय एवं भरोसेमंद सूचनाएं होंगी। गर्ग ने कहा, मरीजों को मधुमेह, उच्च रक्तचाप, वृक्क की पुरानी बीमारी , चक्रीय धमनी रोग (जिसके बारे में कहा जाता है कि कोविड-19 के मामलों में उसके गंभीर परिणाम होते हैं) जैसे एक या अधिक गंभीर बीमारियों वाले मरीजों या 60 साल से अधिक उम्र के आधार पर उच्च जोखिम वाले मरीजों की श्रेणी में रखा गया। हर मरीज के चिकित्सा इतिहास, उसके रोग के लक्षणों आदि का ख्याल रखा गया जिससे वह निर्धारित मानक उपचार योजना की तुलना में अधिक प्रभावी बन गया।

नौ से 10 दिनों में ठीक हो गए मरीज-

अध्ययन में कहा गया कि योग और आयुर्वेद उपचार से पूर्व मरीजों में कई लक्षण दिखे थे। उनके स्वस्थ होने तक टेलीफोन के जरिए नियमित रूप से ध्यान रखा गया। उनके अनुसार उनमें आधे से ज्यादा मरीजों में पांच दिनों में ही सुधार दिखने लगा। 90 फीसद में नौ दिनों में और 10 फीसद से अधिक ने 10 दिनों में ठीक हो जाने की खबर दी। नियमित फोलो-अप में मरीजों से संपर्क रखने वाली आइआइटी दिल्ली की शोधार्थी सोनिका ठकराल ने कहा, ‘‘ 95 प्रतिशत से कम ऑक्सीजन संतृप्ता वाले छह मरीजों को मकरासन एवं शिथिलासन से लाभ हुआ, किसी की स्थिति इतनी नहीं बिगड़ी कि उसे सघन चिकित्सा कक्ष या अन्य अतिआवश्यक सघन उपचार के लिए ले जाना पड़े। कई मरीजों ने बताया कि इस उपचार का उनके स्वस्थ होने की प्रक्रिया पर बड़ा असर हुआ , कइयों को अन्य गंभीर बीमारियों के सिलसिले में भी फायदा हुआ।



आयुर्वेद से बढ़ती है इम्युनिटी-

राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के प्रोफेसर और गुरु नोएडा के वैद्य अच्युत कुमार त्रिपाठी कहते हैं कि आयुर्वेद सिर्फ कोरोना में ही नहीं, अन्य सभी बीमारियों में भी कारगर है। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेदाचार्यों की सलाह पर अश्वगंधा, पीपली, तुलसी, सोंठ, अर्जुन इत्यादि से तैयार क्वाथ इसी लिए स्वस्थ और संक्रमित लोगों को लेने की सलाह दी थी। मरीजों में इसका असर भी देखा गया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में स्वयं हमने बहुत से ऐसे मरीजों को आयुर्वेदिक उपचार से ठीक किया। आयुर्वेद भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है। यह कोरोना में कारगर है। मगर 100 फीसद असर का दावा नहीं किया जा सकता।

Reference-india tv

Tags:


Share:


Comments

Write Your Comment Here

Max Comment Length: 100 Words; Please Don't Use Bad Language Otherwise your comment will be removed


snlogo
Follow Us On Social Media: Sacnilk